पृष्ठ:आदर्श हिंदू १.pdf/१०

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पुरी की यात्रा का अलौलिक आनंद प्राप्त हुआ था। बस उसी यात्रा के अनुभव से इस पुस्तकरचना का बीजारोपण हुआ। उस बीज को प्रेमवारि से सींचकर भरतपुर राज्य के वकील मेरे प्रिय मित्र पंडित फतहसिंह जी ने फलित और पल्लवित करने के लिये समय समय पर सत्परामर्श से, तथा सामग्री देकर मेरी सहायता की। उनके लिये मेरा हार्दिक धन्यवाद है। बस यही संक्षेप से इस पोथी का इतिहास है।

परमेश्वर का लाख लाख धन्यवाद है कि उसकी अपार दया से हम भारतवासियों को ब्रिटिश गवर्मेंट की उदार छाया में निवास करके हजारों वर्षों के अनंतर सधे शांति सुख के अनुभव करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। इस असाधारण शांति और उदारता जमाने में सरकार से भारतवासियों को जो बोलने और लिखने की अभूतपूर्व स्वतंत्रता प्राप्त है उसका सदुपयोग होना ही इस अकिंचन लेखक को इष्ट है। भगवान सब को सुमति प्रदान करे और वे इस भूमिका के शीर्षक पर लिखे हुए श्लोक का अनुसरण करें यही नम्र प्रार्थना है।

आबू पहाड़

हिंदी का एक अकिंचन सेवक
लज्जाराम शर्म्मा

श्रावण कृष्ण ६ सोमवार
सं॰ १९७१ विक्रमीय