पृष्ठ:आदर्श हिंदू १.pdf/११८

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हुआ करते हैं? तिसमें तू एकलौती बेटी। और जो तेरा बाप ही नाराज हो जाय तो करेगा क्या? तेरी मा के आगे उसकी कुछ चल थोड़े सकती है। वही लुगाई का गुलाम है। जरा तेरी माँ ने कुछ नखरा दिखलाया कि वस हाथ जोड़ने लगेगा। मैं कहती हूँ और छाती ठोक कर कहती हूँ कि तू जा और जब तक तेरा आदमी तेरे पैरों में पगड़ी डालकर न लावे कभी इस घर का मुँह न देखियो। तेरी माँ के यहाँ जो कुछ है तेरा ही है। तेरे बाप के एक तेरे सिवाय कोई लड़का बाला भी तो नहीं है।"

"हाँ वेशक! पर मुझे अपने चाचा जी का डर है। उनका स्वभाव बड़ा चिड़चिड़ा है। वह जिद्द में आकर घर में न घुसने दें तो मैं न घर की रहूँ न घाट की।"

"और न भी घुसने दें तो हर्ज क्या है? (कुछ मुसकरा कर) वहाँ चली जाना।"

"चल निगोड़ी (कुछ हँसती हुई उसके एक धक्का मार कर) ऐसे दुःख के समय तुझे दिल्लगी सूझी है। तू ही जाना? उनके यहाँ?"

"चल! चल! तेरे सब गुण मेरे पेट में हैं।"

"और तेरे मेरे पेट में हैं!!"

बस इस तरह मंथरा मथुरा ने जब सुखदा को पक्का कर लिया तब उसके लिये गाड़ी का प्रबंध किया। रात ही रात में सब घर का सामान दोनों ने ढो ढो कर गाड़ी में भरा और