पृष्ठ:आदर्श हिंदू १.pdf/१४०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
( १२७ )

मिल गया। ये अब दाने दाने को मुहताज हो गईं और इन्हें अपने किए का फल यहाँ ही मिल गया।

खैर। जो हुआ सो हुआ किंतु घर छोड़ने के पूर्व एक चिट्ठी जिसमें न मालूम क्या क्या लिखा था लिख कर पंडित वृंदावद बिहारी आपने दामाद के नाम भेज गए थे।




________