पृष्ठ:आदर्श हिंदू १.pdf/१४२

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आज दिन भी अच्छा है! अभ्यास न हो तो चौबायिन से सीख ले।"

इसका पंडितायिन ने कुछ उत्तर न दिया। आँखों ही आँखों में पति को उलहना देकर कुछ हँसते और कुछ लजाते हुए सिर झुका लिया। तब फिर पंडित जी ने चौबे जी से कहा―

"क्यों बंदर महाराज? कल आपने हमको पिटवा तो दिया परंतु यहाँ कहीं के दर्शन नहीं करवाए। यहाँ के समस्त मुख्य मुख्य मंदिरों के, श्री कृष्ण भगवान के लीलास्थलों के और सबही तीर्थों के दर्शन करवाओ। फिर आपको साथ लेकर वनयात्रा भी करेंगे।"

"अच्छो जजमान! पर हमारी बूटी की याद रखियो।"

"बूटी एक बार नहीं, नित्य तीन बार छानियो और सो भी मीठी और खूब मसाला डालकर?"

"जमुना मैया तुम्हारो भलो करै। याते विसेख हमें कछू नहीं चाहिए।"

इसके अनंतर मथुरा, वृंदाबन, गोकुल, महाबन, दाऊजी, गोवर्द्धन, नंदगाँव, बरसाने आदि भगवान के लीलास्थलों के दर्शन में जो जो इन्हें अनुभव हुआ उसे यहाँ लिख कर इस पोथी को पोथा बना देने की मेरी इच्छा नहीं। ब्रजमंडल की चौरासी कोश की बनयात्रा में कौन कौन से स्थान दर्शनीय है, किस किस स्थान पर भगवान ने कौन कौन लीला की है और