पृष्ठ:आदर्श हिंदू १.pdf/१६३

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अपनी खाल की जूतियाँ बनाकर भी आपको पहनावें तो आप से उऋण न हों।

"अच्छा तो (कुछ नर्म पड़ कर) बतला यह किसने किया।"

"किसी ने भी नहीं किया। किसी ने किया हो तो बतलाऊँ? आपको नाहक बहम हो गया है। आप ही बतलाइए। आप को कैसे मालूम हुआ।"

"क्या कहनेवाले का नाम बतला कर उसे खराबी में डालूँ? उसकी जिंदगी भारी हो जाय? मुझ से एक आदमी कह गया है कि तैने खेमला को उसका कर अर्जी लिख- वाई है।"

"सब झूठ है। सरासर झूठ है। मैंने उसे समझा कर अर्जी फड़वाई बेशक है। एक तो आप जैसे उपकार करनेवाले हाकिम की शिकायत करना ही पाप किर जल में रहना और मगर से बैर।"

"और मैं तेरे मुँह पर एक नहीं चार आदमियों से कहलवा दूँ तब?"

"एक नहीं हज़ार बार (मन में सोच कर) जब मैंने किया ही नहीं तो किसका मुँह है जो मेरे लिये झूठ कहे? फिर पर- मेश्वर सब जगह है।"

"हैं तो बुलवाऊँ" कह कर चपरासी को बुलाया और उनकी आँख का इशारा पाते ही वह बाहर जाकर चार आद-