पृष्ठ:आदर्श हिंदू १.pdf/१६६

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फौजदारी में चलान कर देना चाहिए लेकिन आज बाबा की चाल ने मुझे भी पानी कर डाला! ऐसी हालत में अगर यह मुआफी बख्श दें तो मैं भी मुआफ करने को तैयार हूँ।"

"तहसीलदार साहब, यह आप की कृपा है। मैं तो आप से पहले ही अर्ज करना चाहता था। सिर आँखों से तैयार। इस लड़के का पछताना देखकर तैयार और आप के हुक्म से तैयार।"

बस इस तरह दोनों ने जब बाबूलाल का अपराध क्षमा कर दिया तब वह हँसता हँसता अपने घर गया। उस दिन की बातों का उस पर ऐसा असर हुआ कि उसने फिर कभी गाँजा नहीं पिया, चरस नहीं पी, शराब नहीं पी और जवानी के अंधे- पन में आदमी से जितने कुकर्म बन आते हैं उन सब को छोड़ दिया। इस तरह सुधर कर जब वह लड़का वहाँ से विदा हो गया तब बूढ़ा बोला―

"एक बात मैं हुजूर से माँगता हूँ। आज से किसी को गाली न दीजिए। क्रोध सब पापों का मूल है। आप में अच्छे अच्छे गुणों के साथ यह कलंक है। जो इसे छोड़ देंगे तो आप की बहुत वेहतरी होगी। नहीं तो मैं कहे देता हूँ कि आप किसी दिन पछतावेंगे?"

"वेशक! सही है। मैंने तुम्हारे कहने के ही पहले इस बात का अहद कर लिया। अब अगर मुझे बेजा गुस्सा करते देखो तो मेरे मुँह पर थूँक देना।"