पृष्ठ:आदर्श हिंदू १.pdf/१७०

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"नहीं, बिलकुल नहीं? जब आता था तब उसके आगे घर का जेवर, रुपए, पैसे योंही पड़े रहते थे। कभी उसने हाथ नहीं मारा। इस बार ही नियत बिगड़ गई।"

"बेशक" कहते ही सलाम करके वह अपने घर आया।





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