पृष्ठ:आदर्श हिंदू १.pdf/१७९

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लात से, घूँसे से पूजा कर के आगे बढ़ता है तो दूसरे ने गालियों के गोले चलाने ही में बहादुरी लूटनी चाही है। बस इस तरह कहीं हल्ला, कहीं गाली और कहीं―"हाय मरा! अरे मरी! हाय जान निकली जाती है! अरे मेरा लाला! हाय लाला को बचा- इयों!" की आवाज, चिल्लाहट, आर्तनाद कलेजे को फाड़े डालता है।

यात्रियों के कष्ट की आज इतने ही में इसिश्री नहीं है। गहरी गर्मी और कड़ी धूप के बाद बादलों ने दिशा विदिशाओं को चारों ओर से घेर कर दुपहरी में आकाश को काला करके, संसार में उजियाला करने वाले जटायु और संपाती के पर जलाकर उनके अभिमान का चकनाचूर करनेवाले और अपनी प्रखर किरणों से दुनियाँ को तपा देनेवाले; जला डालने का घमंड रखनेवाले भगवान भुवनभास्कर का घमंड दूर करने ही के लिये अपनी गोद के बालक की तरह उन्हें छिपा लिया है और इसलिये जो नामी कवि हैं उन्हें एक अद्भुत उपमा दिखा देने का अवसर हाथ आया है। भला "बेटे की गोदी में बाप" ऐसा सीन यदि किसी ने उमर भर न देखा हो तो आज देख ले। क्योंकि बादल जब सूर्य नारायण से पैदा होते हैं तब उनके बेटे हैं ही। अस्तु भर दुपहरी में बादलों ने एक ओर सूर्य को छिपा कर जब दिन में चिराग जलाने की नौबत आने का अवसर उपस्थित कर दिया है तब थोड़ी बहुत बूँदे डाल कर कंजूस दानी की तरह उमस लोगों