पृष्ठ:आदर्श हिंदू १.pdf/२६

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"केवल इस बात के कहने ही से हम महात्मा को ठग नहीं कह सकते क्योंकि दोनों ही का कहा सत्य है। शास्त्र में ऐसा ही लेख है और सो भी इसलिये है कि इस लोभ से परमेश्वर की सृष्टि बढ़े क्योंकि मोक्ष होने का एक ही साधन नहीं है। बड़े बड़े साधन हैं और मैं मानता हूँ कि सब से बढ़ कर साधन चार हैं। एक परोपकार, दूसरा किसी को कष्ट न पहुँचाना, तीसरा सच्चा व्यवहार और चौथा परमेश्वर की अनन्य भक्ति।"

"और महात्माओं का आशीर्वाद?"

"हाँ! यह भी है परंतु आज कल प्रथम तो महात्माओं का मिलना ही असंभव है क्योंकि उनमें दुराचारी, उग, व्यभिचारी, चोर और उचक्के बहुत होते हैं। भेड़ की खाल में भेड़िया होता है। इसी कारण गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामायण के उत्तर कांड में इनका अच्छा खाका खोंचा है और जो कोई मिल भी जाय तो ऐसे ही उपदेश देगा।"

"ठीक है। उन महात्माजी ने भी यही बात कही थी। इस सिवाय इतना अधिक कहा था कि स्त्री की पति के सिवाय को जाति नहीं और पुरूष को अपनी पत्नी के सिवाय और स्त्रिओं को अपनी मां बहन समझना चाहिए। उन्होंने व्यभिचार की बहुत निंदा की थी।"

"तब उन्होंने साधन क्या बतलाया? आदमी तो भले मालूम होते हैं।"