पृष्ठ:आदर्श हिंदू १.pdf/३६

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छोटे मोटे लड़के लड़कियों के काम अलग अलग बँटे हुए हैं। सब अपने अपने काम पर मुस्तैद। किसी की ताव नहीं जो बूढ़े के हुक्म में चूँ कर सके। घर के काम की निगरानी और माला फेर कर "राम राम" जपने के सिवाय इसे कुछ काम नहीं परंतु फिर भी घरवालों के आपस के मुकदमे फैसल करने में और गाँववालों को अपने अपने काम की सलाह देने में इसका बहुत समय निकल जाता है और इसलिये फुरसत न मिलने की इसे शिकायत भी बनी ही रहती है। बस्ती भर में इसकी अचश्व धाक है। गाँव के आदमी बड़े बड़े काम इससे पूछ कर करते हैं और यह सलाह भी नेक ही देता है। जो कोई भूखा, प्यासा इसके द्वार पर आ जाय, जो कोई दुखी दरिद्री इसके पास आ जाय उसकी हर प्रकार से यह खातिर करता है। जहाँ तक इससे बन सकता है गाँव वालों के छोटे मोटे झगड़े जोर लगाकर आपस में निपटा देता है और उन्हें इस कारण पुलिस के चंगुल से बचाता है, पटवारी के हाथ से उनकी रक्षा करता है। परोपकारी ऊँचे दरजे का है। जरा से कष्ट की इसे ख़बर लगी कि यह उसके पास रात के बारह बजे तक मौजूद। यद्यपि यह वैध नहीं, वैद्य का जाया नहीं परंतु देहाती इलाजों से ऐसे ही लोगों की सहायता करता है और इन्हीं कारणों से गाँव का जमीदार और होने पर भी इसका दर्जा, इसका दबदबा और इसकी भलाई उससे बढ़ कर है। अभी नहीं कहा जा