पृष्ठ:आदर्श हिंदू १.pdf/७८

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ऊँची तनख्वाह पाने का, ऊँचे दर्जे का बिलकुल खयालात किया। और इस तरह उनका खूब जय जयकार हुआ।

परंतु उन मुसाफिरों को मारने से बचाने वाले, जल और अन्न देकर उनकी जान बचाने वाले के दोनों सज्जन कौन थे? तलवार सूंत कर कुएँ के पास खड़े हो जाने वाले पंडित प्रिया- माथ और कस्बे से मिठाई लानेवाला उनकी ही आज्ञा से उनका छोटाभाई कांतानाथ। कुएँ से डोल भर भर कर पानी बाँटने वाला बूढ़ा भगवान दास, उसकी स्त्री, उसका एक लड़का और इस जगह अपनी कोमल कलाइयों से जी तोड़ परिश्रम करनेवाली प्रियंवदा को यदि मैं भूल जाऊँ तो लोग मुझे कृतन्घ कहेंगे। उस बिचारी ने अपनी जान झोंक कर परिश्नमा किया और दौड़ कर पानी पिलाने में खूब ही आशीर्वाद पाया।

यही पंडित जी की यात्रा का श्रीगणेश है।



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