प्रियंवदा को गायब हुए आज शनि शनि आठ दिन हो
गए। लोग कहते हैं कि शनिवार को किया हुआ काम
चिरस्यायी होता है। मालूम होता है कि यह खयाल सच्चा है।
वास्तव में वह ऐसी कुसायत में गई है, गई क्या उस
बिचारी को बदमाश पकड़ ले गए हैं कि कहीं अब तक उसके
पते तक का पता नहीं। पंडितजी केवल नाम के पंडित नहीं,
वह अच्छे ज्योतिषी भी हैं और उन्होंने काशी के बड़े बड़े
धुरंधर ज्योतिषियों से पूछकर भरोसा कर लिया है कि उनकी
प्राणप्यारी अवश्य मिल जायगी और मिलेगी भी अछूत,
बेलाग, अपने सतीत्व की रक्षा करके। उसे पकड़कर ले
जाने में उसका दोष क्या? पति के साथ ऊपर न जाने में
उसकी भूल वास्तव में हुई किंतु प्राणनाथ और देवर दोनों को,
मृग के लिये भेजकर जन-शून्य वन में अकेली रह जाने में जब
जगज्जननी जानकी की भूल हुई तब बिचारी प्रियंवदा किस
गिनती में है! कुछ भी हो कितु वह गई पंडितजी के बारहवें
चंद्रमा में और मंद नक्षत्र में। इसलिये यदि मिलेगी तो
असह्य चिंता के बाद, जी तोड़ परिश्रम के अनंतर और खोज
करने में धरती आकाश एक कर डालने पर।
हाँ ठीक,
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