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प्रकाश को पहले संस्करण में श्राद्ध की विधि थी किंतु अपनी बात गिरती देखकर दूसरे संस्करण में उसे निकाल दिया, खारिज कर दिया गया।"

इस पर मध्यस्य महाशय मुसकुराए और साथ ही प्रतिवादी महाशय झेंपे भी। फिर उन्होंने कुछ खिसिया- कर कहा --

"अच्छा! आप वेद के प्रमाण तो दीजिए। यों टाल- मटोल करने से काम नहीं चलेगा। वृथा बकवाद करने से कोई लाभ नहीं।"

"हाँ साहब, लीजिए। लिखते जाइए। समझते जाइए घबड़ाइए नहीं। वेद मंत्र लीजिए --


ये च जीवा ये च मृता ये च जाता ये च याज्ञियाः,
तेभ्यो धृतस्य कुल्यैतु मधुधारा व्युदंती। अथर्व १८।४।५७
ये निखाता, ये परीप्ता, ये दग्धा, ये चोद्धिता:,
सर्वां स्तनग्न आहद पितृन् हविषे अन्तवे। अथर्व १२२।३४
ये अग्निदग्घा, ये अनग्निदग्घा, मध्ये दिवः स्वधया
मादयंते, स्वं ता निवेस्थयति ते जातवेदः स्वधया यज्ञं

स्वधिति जुषंताम्।

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स्वमग्नं ईडितः कव्यवाहना वाड्ढव्यानि सुरभोणि कृत्वी
प्रादा: पितृभ्यः स्वधयाते अक्षन्नद्विस्वंदेव प्रयाताहवीणषि।

ॠग्वेद ६६