पृष्ठ:आदर्श हिंदू २.pdf/२३१

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से कि पारी पारी से एक एक को बैठकर विश्राम लेने का अवसर मिल जाय। प्रयोजन यह कि एक थोड़ी देर बैठकर जब सुस्ता चुकती है तब खड़ी होकर दूसरी के बैठने के लिये जगह दे दिया करती है। दिन रात उनका यही हाल रहता है।"

"वास्तव में बड़ा अनर्थ हैं परंतु फकूँ क्या? शायद फूँका इससे भी भयानक होगा। तब ही अपने अब तक नहीं बतलाया।"

"हाँ बेशक! खैर कहना ही पड़ेगा। कहने को जी तो नहीं चाहता परंतु खैर! सुनो। यह निश्चय है कि गाएँ बच्चा मर जाने पर दूध नहीं देतीं, यहाँ तक कि यदि अधिक दूधवाली गाय का बच्चा मर जाय तो उसके स्तन दूध के मारे फटने लगते हैं। उनमें विकार हो जाता है। स्त्रियों को भी ऐसा होते हुए देखा गया हैं। बस इसी लिये वहाँ के ग्वाले किसी बाँस की अथवा नरसल की पतली पोलो नलियाँ उनके पीछेवाले स्थान में डालकर फूँक देते हैं। परिणाम इसका यह होता हैं कि उनके स्तनों में जितना दूध होता हैं वह अपने आप जगह छोड़ देता है। एक बात इससे और भी भयानक है कि जब उनका दूध बंद हो जाता है तब वे कसाइयों के बेंच दी जाती हैं क्योंकि दूसरी बार उन्हें गर्भ नहीं रह सकता।"

"निःसंदेह बड़ा हृदय-द्रावक व्यापार है। अवश्य ही देखने योग्य नहीं। बेशक वहाँ जाना ही न चाहिए परंतु इसका उपाय?