पृष्ठ:आदर्श हिंदू २.pdf/२३२

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'हाँ उपाय हो रहा है। गवर्मेंट के कानून से फूँका लगानेवाले के दंड मिलता है। जे पकड़े जाते हैं उन पर जुर्माना अथवा सजा होती हैं। वहाँ के सज्जन भी इस प्रयत्न में हैं कि ये दोष दूर होकर शुद्ध घी और दूध मिलने लगे। कुछ कुछ काम हुआ भी है। घी में चर्बी मिलाना तो पहले था ही किंतु आज नारियल का तेल देश भर में कसरत से मिलाया जाने लगा हैं।"

"खैर! घी की बात से तो घी से रही किंतु महाराज, गौरक्षा का तो कुछ उपाय होना चाहिए। वास्तव में इसके बिना हमारी धर्म-हानि, स्वास्थ्य-हानि और धन-हानि है।"

"जो उपाय देश भर के हिंदू अपनी शक्ति भर कर रहे हैं वे अच्छे ही हैं। गोरक्षा के लिये धर्माग्रह होना ही चाहिए क्योंकि वह हमारी पूजनीया माता है। उसके उपकार रक्षक और भक्षक पर समान हैं। इससे चढ़कर उपकार क्या होगा कि वह घास खाती है और बदले में दूध देती है किंतु मेरी समझ में उसके लिये जो उपाय किए जा रहे हैं उनमें बड़ी भारी त्रुटि है। प्रायः ऐसे काम किए जा रहे हैं जिनसे एक जाति का दूसरी जाति से द्वेष बढ़े, हाकिमों को चिढ़ हो और काम का काम न हो। इनमें कभी कभी को छोड़कर विशेष दोष हिंदुओं का चाहे न हो परंतु मेरी समझ में इस प्रश्न के आग्रह के ढाँचे पर ढालने के बदले व्यापार के तलों पर लेना अधिक समयानुसार है, अधिक लाभदायक है। समय को

आ० हिं० -- १५