पृष्ठ:आदर्श हिंदू २.pdf/२४१

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बाँस का सामान बनाने और चमड़े का काम कराने के लिये उनकी कारीगरी का सुधार करना चाहिए। उनकी भगवान् में भक्ति बढ़े ऐसा उपदेश देना चाहिए। बस हुआ। अब यदि इतनी मदद देकर आपने उनके हाथ का छुआ पानी न पिया सो क्या हानि हुई ? यदि छुआछूत ही विनाश का हेतु होती तो संक्रामक रोगों में इसकी व्यवस्था क्यों की जाती? एक ओर डाक्टर लोग छुआछूत बढ़ा रहे हैं और दूसरी ओर धर्म के तत्त्वों को न समझकर, वैद्दक के सिद्धांतों पर पानी छोड़कर चिर प्रथा मेटने का प्रसन्न! घृणित कर्म करनेवालों के स्पर्श का अवश्य असर होगा। इसी लिये हमारे यहाँ केवल अंत्यजों के साथ ही नहीं वरन् हम रजस्वला स्त्री का स्पर्श नहीं करते, अशौच में किसी का स्पर्श नहीं करते, पाय- खाने जाने के बाद स्नान करते हैं। हम अपवित्र माता पिता तक को जब नहीं छूते हैं तब अंत्यज क्या चीज? जाने रहिए, यदि आपने उनका पेशा छुड़ाकर उन्हें उच्च वर्णों में संयुक्त कर लिया तो किसी दिन आपको नाई, धोबी, भंगी, चमार नहीं मिलेंगे। उस समय आपको उन लोगों की जगह लेनी पड़ेगी। इस कारण उन्नत्ति के बहाने से हिंदू समाज में अधर्म का गदर न मचाइए। परंपरा से, पीढ़ियों से जो खानदान जिस काम को करता आया है उसी को वह अच्छी तरह कर सकता है। उस पेशे को सीखने में उसे जितनी सुविधा है उतनी नए खिलाड़ी को नहीं। इसलिय ब्राह्मणों को ब्राह्मण
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