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तरह ये लोग थक जाने पर भी एक ही नवीन उत्साहित होकर कोई मील डेढ़ मील चलने के अनंतर एक वट वृक्ष के नीचे, जहाँ साधुजी का आसन जम हुआ था, जा पहुँचे। वहाँ
जाकर "नमो नारायण!" करने के अनंतर प्रणाम करके महाराज
की आज्ञा से ये बैठ गए।
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