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जाते और जो न जाते तो कान में जरा सी आहट पाते ही वह रस्सा तोड़ दौड़ा हुआ आता। उसका वर भी इनके मकान से दूर नहीं था और जब से भगवनिया गया, वह दिन में चार पाँच बार आ आकर सँभाल जाया करता था। बात यह हुई कि पन्ना किसी आवश्यक काम के लिये कहीं गया था और इस झगड़े से तीन चार घंटे पहले इन सबको समझा- कर गया था। जब वह सामने से सीधा भगवानदास के मकान पर आया तो यहाँ इस तरह की लीला देखकर एक- दम हक्का बक्का रह गया। विपत्ति के समय जैसे परमेश्वर के दर्शन हों उस तरह पन्ना को देखकर सबके सब रो पड़े। उसने सबको ढाढ़स दिलाकर असली भेद जाना और चौकी- दारों को एक ओर ले जाकर न मालूम उनके कान में क्या मंत्र पढ़ दिया कि उन्होंने फौरन ही तीनों की रस्सियाँ खोल दीं। चौकीदारों ने जिन जिन को पकड़ा था, जिन जिनकी शिकायतें थीं उनका राजीनामा जेब में डालते हुए चौकीदार राजी होकर अपने घर गए और भगवानदास के बेटे बहू रो धोकर अपने घर गए। पानी के चार छीटे लगते ही दूध का उफान जैसे बंद हो जाता है, वैसे इनका झगड़ा मिट गया। जैसे सिंह की एक ही गर्जन से स्यार डर के मारे अपनी माँदों में जा छिपते हैं वैसे ही जो इनकी बदनामी करनेवाले थे वे अपने कानों पर हाथ लगा लगाकर अपने अपने घरों में जा लुके।

जब इस तरह की शांति हो गई तब पन्ना भगवानदास