पृष्ठ:आदर्श हिंदू २.pdf/८८

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न कराइए! अब भी आप लोगों में अच्छे अच्छे महात्मा हैं परंतु वे आपकी तरह कहते नहीं फिरते कि "हम भस्म कर दंगे।" उनके लिए "पर तिय मात समान है।"

घाट आते ही साधुजी लपककर नाव से उतरते उतरते "अच्छा बच्चा समझ लेंगे।" कहते हुए नौ दो ग्यारह हुए और हमारी यात्रापार्टी कुलियों के सिर पर बोझा रखवाकर अपने टिकने के स्थान पर पहुँची किंतु बाबाजी के "शाप" और "समझ लेंगे" के भय से प्रियंवदा पर जैसी इस समय बीत रही है उसका मन ही जानता है।


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आ० हिं० -- ६