पृष्ठ:आदर्श हिंदू ३.pdf/१२

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उसे हाथ ले"। आज देखो तो साहब इसकी बीसो अंगुलिया गल गई। चलना फिरना भी कठिन है। ओहो! नाक चिलकुल बैठ गई। हाय हाय! इस नन्हे से बच्चे ने ऐसा कौन सा पाप किया होगा? अफसोस किसी की कोई खबर होनेवाला नहीं। अच्छा इस औरत को तो देखो!शरीर ढीकने के लिए,लल्जा निवारण करने को एक ने कपड़ा तक नहीं एड़ियां बांधने के लिए एक चिहीं तक नहीं । हाय हाय! पीठ के फटने बहकर धरती भिगोए डालते है, मुखिया काट कटा मानो दम कर रही है, जब अंगुलियां गल गलकर हाथ पैर बिल्कुल लुंज गए हो तब इसके मुंह में मुट्ठी चने भी पौधा डालता होगा?अगदस्त की भी मुश्किल है। ओहो! दुर्गंध के मारे चक्कर आने लगे। जी व्याकुल होता है। गिर पड़ने की इच्छा होती है। बड़ा भीषण दृश्य है। इच्छा होती है कि यहां से भाग चले परंतु मन नहीं चाहता। देखिए देखिए! साहब देखिए! ऐसे एक दो,दस बीस नहीं। इनकी कुल संख्या दो सौ तीन सौ होगी। नूह की किश्ती है। अपने पापों का परिणाम भोगने के लिए ये इकट्ठे हो गए हैं। मर्कर यदि यमराज का जेलखाना देखने के अनंतर कोई अपना अनुभव सुनाने के लिए नहीं आता है तो न सही। यही यमराज का कारागृह समझो। इससे बढ़कर क्या होगा? वास्तव में इनका कष्ट देखा नहीं जाता। यदि मनुष्य में शक्ति हो तो राजा की वर्षगांठ पर जैसे कैदी छोड़े जाते हैं वैसे इन विचारों का तुरंत