पृष्ठ:आदर्श हिंदू ३.pdf/१२१

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जिनकी सूचना आपको जितनी शीघ्र मिल जाय उतना ही आपको अधिक संतोष होगा ।

"प्रधान वक्तव्य यही है कि उस घुरहू नामधारी नर पिशाच को अपनी करनी का फल मिल गया । परमेश्वर यहाँ का यहाँ वर्तमान है। अब उसे आजीवन भारतवर्ष की पुण्यभूमि का दर्शन न मिलेगा । ऐसे नराधमों से देश जितना शून्य हो उतना ही कल्याण है। उसने अपने यावत् अपराध अपने ही मुख से खोकार कर लिए । जे घटनाएँ मुझे नसीरन रंडी के द्वारा विदित हुई थी वे लगभग सब की सब सत्य निकलीं । उसके साथ के पतवारू, कनवारू और नसीरन को भी दंड मिल गया । खूब छान बीन के अन्तर कल्पना नगरी के न्यायालय में दूध ने दूध और पानी का पानी न्याय कर दिया ।

“आप बाबा भगवानदास से कह दीजिए कि अब उसे चिंता करने की आवश्यकता नहीं रही। उसका जैसा विमल चरित्र हैं वैसा भगवान् सबको दे । निरपराध भगवानदास जिस मिथ्या कलंक से भयभीत होकर' दिन रात काढ़ा करता था उसका कर्ता घुरहू साबित हुआ । प्रयाग में आप लोगों ने जिस साधु की मुश्के कसते हुए अबलोकन किया था वह घुरहू ही था । वहाँ सिपाहियों के पहरे में से भाग आया था किंतु अंत में उसकी कलई खुल गई । उस नन्हें से बालक का केवल जेवर के लालच से गला घोंटकर प्रण लेनेवाला धुरहू है । भगवानदास ने उसका सत्कार करके अपनी थैली क्या