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गोते लगाया करते हैं । उनका सिद्धांत यही है किंतु वह अपने मन को ---
"पातालमाविशति यासि नभो विलंध्य
दिल्लमंडलं ब्रजसि मानस चापलेन ।
धांत्या तु यातु विमलं न तुल्मलीन्यं ।
तद्व्रह्म संस्मरसि निवृतिमोष येन ।।"
की रट लगाकर प्रबंध दिया करते हैं।