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प्रकरण--६०
घर चौपट हो गया

"बुढ़िया ने पीठ फेरी और चरखे की हो गई ढेरी वास्तव में भगवानदास का घर चौपट हो गया । बूंढ़ा गंवार था, पढ़ा लिखा विलकुल नहीं और आजकल की "उन्नति" की पुकार उसके कानों तक भी नहीं पहुँची थी, पंरतु उसने अपनी छोटी सी गृहस्थी में, अपनी सधारण हैसियत में और अपने गरीब घर में,दिखला दिया था कि गृहराज्य कैसा होता है। जो घर का प्रबंध कर सकता है, जिसकी आज्ञा का पालन बेटे बेटी करते हैं और जो अपने घर की उन्नति कर सकता है वही देश का प्रबंध भी कर सकती हैं। प्रबंधकर्ता में पहली योग्यता यही होनी चाहिए । पोथे रट रटकर माथा खाली करने की जितनी आवश्यकता नहीं उतनी "इतजागी लियाकत" चाहिए लोग कहते हैं कि "संयुक्त कुटुंब" की प्रणाली से देश चौपट हो रहा है, कोई भी उन्नति नहीं कर सकता, किंतु उसकी बूढ़ी बुद्धि ने साबित कर दिखाया कि संयुक्त कुटुंब गृहराज्य है, राज्य-प्रबंध का दमूना है। यदि देश में ऐसे कुदुबों की अधिक संख्या ह़ो तो स्वभाव से ही एकता बढ़ जाय, मुकदमेबाजी आधी रह जाय और यही देहाती पंचायत का मूल सूत्र है। शरीर के जितने कार्य हैं उन्हें न