पृष्ठ:आदर्श हिंदू ३.pdf/१८९

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और यों इतने बड़े काम का, इतने बड़े अधिकार को, इतने बड़े वैभव को तिनके की भाति तोड़कर वह अपने घर अ बैठे जहाँ उन्होने नौकरी की वहाँ अब भी उनका आदर है, अब ही छोटे बड़े सब लोग इन्हें चाहते हैं। अच्छी नौकरी करने का, शुभचिंतकता करने का यह एक छोटा सा आदर्श है। पाठक पाठिकाओं के अंत:करण पर अच्छा प्रभाव डालने के लिये यदि उनकी इच्छा हो तो इस खाके के सहारे, यथेच्छ लौट फेर करके वे अच्छी तस्वीर तय्यार कर सकते हैं। यहाँ इतना अवश्य लिख देना चाहिए कि जब तक पंडित प्रियानाथ डाक विभाग में रहे तब तक भी उनका इन बाते में, अपना काम अच्छी तरह अंजाम देने में, सुयश रहा और इधर आ जाने बाद भी वर्द्धमान कीर्ति ।