पृष्ठ:आदर्श हिंदू ३.pdf/२००

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के नाम पर शास्त्र-विधि से गणेश-पूजन करके दूकान खोल दी गई और जब कांतानाथ जैसे व्यवसायी का प्रबंध था, जब पंडित जी जैसे अनुभवी का निरीक्षण था और जब सत्यनिष्ठा हो इनका मूल मंत्र था तब सफलता होने में आश्चर्य क्या ? पंडित जी के मनोराज्य में सफलता अवश्य हुई और सो भी ऐसी कि जिसकी नकल जगह जगह होने लगी। नकल होने से ये लेाग नाराज नहीं हुए। पंडित जी ने स्पष्ट ही कह दिया कि-" हमारे अनुभव से यदि लोग लाभ उठायें तो हमार सैभाग्य ! ऐसे कामों की नकल होने ही में देश का कल्याय है। हमने इसी लिये नमूना खड़ा किया था "

यदि पाठक चाहें तो इसका अनुकरण करके लाभ उठाने का उन्हें अधिकार है। उन्हें अवश्य ऐसी दुकाने खोलनी चाहिएं ।