पृष्ठ:आदर्श हिंदू ३.pdf/२१३

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से कोई कहनेवाला है तो केवल गौड़बोले ! उन्होंने कई बार पंडित जी से कहा हैं और खैंचकर यहाँ तक कह डाला है--

"यदि आप बालोंको को इस तरह विगाड़ेगें तो मैं चला जाऊँगा । आपका नुकसान मुझसे देखा नहीं जाता । यदि आपके हजार रुपे के हानी हो चाय तो कुछ चिंता नहीं किंतु या नुकसान जन्म भर का है, वीडियो तक का है, अटल है, अमिट है । दोनों बालक कुशाग्रबुद्धि हैं। इन्हें विशेष समझाना नहीं पड़ा । विशेष रटाना नहीं पड़ता । छोटा लडका कुछ ढीठ अवश्य है, ज़िद्दी हैं परंतु समय पाकर ये ऐब निकल सकते हैं। केवल आपके निरीक्षवा की आवश्यकता है। इनकी शिक्षा दीक्षा का काम आपको अपने हाथ में लेना चाहिए । हाँ ! मैं जानता हूँ कि आपको अवकाश नहीं है परंतु इनके लिये आपको अवश्य फुरसत निकालनी पड़ेगी ।

पंडित प्रियानाद ने गौड़बोले की सम्पत्ति पर ध्यान दिया । जैसे वह धार्मिक, सामाजिक, व्यावहारिक और ऐसे अनेक व्रतों के व्रती थे वैसे ही उन्होंने यह ब्रत भी द्वंढ संकल्प के साथ ग्रहण किया । इस पहला काम यही किया कि भोला की जागीर छिन गई। उसे खाने पहनने का टोटा नहीं । काम काज के लिये भी उससे विशेष कोई कहता सुनता नहीं परंतु वह मानता है कि "मेरे दिन भर गए ।" इसी चिंता से वह अब बहुत कुछ लट गया है, सूखकर काँटा हुआ जाता