पृष्ठ:आदर्श हिंदू ३.pdf/२२९

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गाने बजाने के अंनतर जलसा खतम हुआ। फिर समय पाकर पंडित जी ने उस व्यक्ति के समझा दिया कि अनादि काल से जैसा हिंदुओं की ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद, यो चार' जातियां हैं वैसे ही सलोनी, दशहरा, दिवाली और होली। चार वर्षों के चारों त्योहार हैं। सलोने के उपाकर्म ब्राह्मणों का, दशहरे के विजय-यान्ना क्षेत्रियों का, दिवाली को लक्ष्मी का पूजन बैश्यों का और होली की घूमधाम शूद्रों का, यो चारों वर्षों के चार त्योहार है किंतु है चारों चारों हो के । ये ही हमारे जातीय त्योहार हैं। उत्साह की जाति का जीवन हैं और ये त्योहार हमारा उत्साह जागृत रखने के मुख्य साधन हैं । पर साथ ही यह भी आवश्यक है कि इन त्योहारों में जो अनुचित बातें आ गई हैं उनका सुधार होना चाहिए, उन्हें एकदम उठा देना ठीक नहीं ।