पृष्ठ:आदर्श हिंदू ३.pdf/२३२

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नहीं । मुझे केवल इतना ही पूछना था कि महात्मा कौन थे ? जरा पता लगाकर तो देखूं कि कौन थे ? शायद वही हो ?"

"हाँ वही थे वहीं, जिनके लिये आपको संदेह है । "

"मेरा संदेह तुझे क्योकर मालूम हुआ ?"

“मैं सुन चुकी हूँ कि काशी में आपको पंडित वृंदावनविहारी और उनके गुरु के दर्शन हुए थे। उन्हीं महात्मा से वृंदावन महाराज ने शूकरक्षेत्र ( सारा ) में जाकर उपदेश लिया था | पहले पहले वह गृहस्थाश्रम में रहकर कुछ साधना करते रहे फिर घरवालों से दुःख पाकर उन्होंने दुनिया छोड़ दी । पंडित वृंदावनबिहारी जब सोरे गए तो रास्ते में मैं भी उनके साथ हो गई थी। वहीं उन महात्मा जी ने मुझे उपदेश दिया था लेकिन ऊसर धरती की तरह उनका चीज यो ही चला गया ।"

"भला, परंतु वह महात्मा थे कौन ?"

"आपके पिता के, नहीं आपके गुरु महाराज ! मैंने आपको बहुत कष्ट पहुँचाया है । मैं अब अपने किए पर बहुत पछताती हूं । आप मेरे अपराधों को क्षमा कर दे तो मेरा छुटकारा हो जाय ।"

"अच्छा क्षमा किया" कहकर पंडित प्रियानाथ वहाँ से चल दिए। इसके अनंतर उसकी क्या दशा हुई सो बाचन प्रकरण में लिखी हुई है। पंडित जी ने सार किस्सT "अथ"