पृष्ठ:आदर्श हिंदू ३.pdf/२३३

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से "इति" तक पंडितायिर को सुनाया । इस घटना को सुनकर मथुरा के विषय में जो भाव उसके अंतःकरण में पैदा हुए उसके लिये कागज रंगने की आवश्यकता नहीं । हां ! वरूणा गुफा के महात्मा को अपने पिता जानकर वह उदास' भी हुई और प्रसन्न भी हुई। उदास इसलिये कि वहाँ उन्हें न पहचाना और राजी इसलिये कि उसके पिता इतने पहुँचे हुए महात्मा निकले ।