पृष्ठ:आदर्श हिंदू ३.pdf/२४४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
(२३५)

घटी नहीं है। घटने के बदले बढ़े तो जुड़ी बात है। पंडित जी जितना परिश्रम करते हैं उतना, उनसे भी अधिक कांतानाथ करते हैं । काम काज का सारा बोझा उसी के सिर है । "स्याह और सफेद" जो कुछ करे उसे अधिकार है। सब काम करनेवाला वह और निरीक्षक पंडित जी । गलतियों को सुधरचाना, काम के दृढ़ पाए पर डालना, नई नई बातें सुझाना समझाना और काम में परिणत करना उनका काम और उनकी आज्ञा के अनुसार वर्तना छोटे भैया का। यदि कांतानाथ के हाथ से कुछ गलती हो जावे तो वह उसे फटकारते नहीं हैं, उस समय उससे कुछ कहते तक नहीं हैं, और जब वह स्वयं रिपोर्ट करे तब.. “होगा जी ! काम करनेवाले के हाथ से चूक भी होती ही आई है।" कहकर उसको संतुष्ट कर देते हैं और फिर अवसर निकालकर समझाते हैं। बस वह भी इनका “हुक्मी बंदा" है। परिणाम यह कि दोनों भाइयों का प्रेम राम भरत के अलौकिक प्रेम की याद दिलाता है।

इस तरह जब पंडित बंधुओ का परस्पर असाधारण प्रेम है तब दोनों देवरानी जिठानी सगी -जाई बहन की तरह मिलकर रहती हैं । अक्सर देवरानी जिठानी में,सास बहू में ननद भौजाई में, मा बेटी में और बहन बहन में परस्पर लड़ाई होती देखी है। यदि स्वार्थ के विरोध में झगड़ा हो तो जुडी बात है किंतु नहीं-- अविद्या से, बिना बात ही, हलकी हलकी बातों पर आपस में लड़कर वे एक दुसरी की जानी दुश्मन बन