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करनी चाहिए। जो काम स्वयं करने के हैं उन्हें करके अपने आपको औरों के लिये नमूना बनाओ। बस सीधा मार्ग यही है।"

संतानों का भी पंडित जी को सुव कम नहीं है। कमलानाथ और इंदिरानाथ गते प्रकरणों में प्रकाशित घर की शिक्षा समाप्त करके हिंदू यूनिवर्सिटी में उच्च शिक्षा पा रहे हैं। इनके घर के अध्ययन का ढंग देखकर विश्वविद्यालय के कर्ता धर्ताओं ने उसे पसंद किया है और औरों कर इनका अनुकरण करने की सलाह दी जाती हैं। लड़के दोनों चतुर हैं, बुद्धिमाम् हैं, सुशील हैं, परिश्रमी हैं और सदाचारी हैं। इनके अतिरिक्त दोनों के और भी कई लड़के लड़ कियाँ हैं। कई एक का विवाह' होकर बहुओं का भी अगमन हो गया है । बस इनका घर यों फलती बेल है, लहलहाती लता है ।

इस यात्रा में इन्होंने जहाँ जहाँ दीनशालाए” खोलने की, पंडो को शिक्षा दिलाकर सुधारने की, तीर्थों के अनेक कुकर्म नष्ट होकर भलाई का प्रचार होने की, गोरक्षा, कुष्ठाश्रम और जोचदया-विस्तार की सलाह दी है वहां वहाँ सफलता होने की खबर पाकर इन्हें आनंद होता है, होना ही चाहिए । वह स्वय” किसी न किसी प्रकार से अवकाश निकालकर ऐसे ऐसे अनेक लोकहितकारी कामों में योग देते हैं, चंदा देते हैं और काम करने के लिये आगे बढ़ते हैं। जब इन्हें परमेश्वर की अनन्य भक्ति का,अपने "विल पावर को" का आ़ हि़---- १६