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प्रकरण-५४
जनानी गाड़ी

दूसरे कंपार्टमेंट में, जिनमें प्रियंवदा सवार हुई थी, आठ दस स्तरीय और थी। उनके कपड़े लते से, उनकी रहन-सहन से और उनके वर्ताव से विदित होता था कि वे किसी भले घर की बहू बेटियां है । यदि ऐसा न होता ऐसा तो पंडित जी कुछ है कुछ और उपाय करते क्योकि दूध का जला मळे को भी फूंक फूंक कर पिया करता हैं । प्रियानाथ प्रियंवदा के उन महिलाओं में हिलं मिलकर बैठ जाने से कुछ निश्चित अवश्य हुए किंतु प्रत्येक स्टेशन पर उतर उतरकर उसकी खबर लेते रहे और रात भर इसी खटके से उन्होंने निद्रा के नाम एक पलक तक न भारी । गाड़ी में सवार होने के अनंतर आपस में जा पहचान होकर इधर उधर की गप्पे होने लगीं । जहाँ चार औरतें इकट्ठी होती हैं वहाँ या तो आपस में कलह होती हैं, या औरों की निंदा होती है और जो ये दोनों बातें न हुई और सब की सब जवान उमर की हुई तो अपने अपने शौहर की, अपने अपने बाल बच्चों की अथवा अपने अपने धन दैलरी की, रूप लावण्य की बातें होती हैं।

प्रियंवदा को इस प्रकार के निरर्थक गपोड़े जैसे पसंद नहीं थे वैसे एक और ललना भी इन स्त्रियों की ऐसी ऐसी