पृष्ठ:आदर्श हिंदू ३.pdf/८३

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रमणी-हृदय जैसे गहन होता है वैसे ही दूसरे का मन पहचान लेने की शक्ति भी उसमें अतुलनीय होती है। सर्व साधारण यदि अटकल लगाना चाहे तो अधिक से अधिक यही परिणाम निकाल सकते हैं की जैसे एक युवा पुरुष किसी सुंदरी युवती को देखकर काम-पीड़ित हेता हैं वैसे ही जवान औरत सुंदर सुडौल पुरुष को देखकर होती होगी । अथवा एक युवती दूसरी युवती को देखकर डाल कर सकती है, घृणा कर सकती हैं और दया किंतु नहीं! यह फैसला बहुत ही भद्दा है। इस फैसले में ओछेपन की इतिश्री है। चाहे कोई स्त्री हो अथवा पुरुष हो, यदि उसने थोड़े प्रतिवाद के सिवाय उस व्यक्ति का चरित्र न लिख लिया तो किया ही क्या ? दोनों ने दोनों को नख से शिख तक देख भालकर एक दूसरे के लिये क्या फैसला दिया सो मैं नहीं बतला सकता अथवा यो कहो कि में पुरुष-हृदय दोनों के नारीह्रदय का पता पाने ही में असमर्थ है। अब पाठक पाठिका को अधिकार है कि दोनों के परस्पर संभापणा से यह पा लें ।

अस्तु,जब यो ही दोनों को मौन व्रत साधे दो तीन स्टेशन निकल गए तय प्रियंवदा ने कहा--

“बहन, आप तो पढ़ी लिखी मालूम होती हैं । कदाचित आपने अँगरेजी की उच्च शिक्षा पाई है ? क्या बी० ए० ?

“हैं ? हाँ ! योही ! ( कुछ लजाकर ) इस बार बी० ए० की परीक्षा दूंगी ?"