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की खुराक ही समझो और जब ऐसा है तो भूख लगते ही खाने को मिल जाना चाहिए । जो भूख लगते ही भोजन नहीं पा सकता है की निपल अखाद्य वस्तु पर दौड़ती है। नीचों के यहां तक का खा लेने की प्रवृत्ति होती है। संसार के अनुभव से और शास्त्र की मर्यादा से कन्या के विवाह का काल रजोदर्शन से पूर्व और समागम का समय रजोदर्शन होते ही है। बल्कि गर्भधान संस्कार भी तब ही होता है ।"

“शास्त्रों में तो कपड़ों से होने के तीन वर्ष बाद तक का लेख बतलाते हैं ?"

"नहीं ! उसका मतलब यह है कि यदि योग्य वर ने मिले तो इतने समय तक पिता राह देख सकता है । यह मतलब न होता तो ऐसा क्यों लिखा जाता कि रजस्वला होने पर भी जो पिता अपनी लड़की का विवाह नहीं करता, वह प्रति मास उसके रज का पान करता हैं । रजोदर्शन से पूर्व विवाह करने के सैकड़ों प्रमाण हैं।"

“हां ! तो बारह वर्ष की उम्र तक विवाह करके पहले, तीसरे, पाँचवें वर्ष में शरीर का ढंग देखकर गौना कर देने से आपका प्रयोजन सिद्ध हो गया परंतु तलाक ? मर्द खराब निकल आवे तो उसका त्याग करके दुसरा विवाह अवश्य होना चाहिए ।"

“और दूसरा खराब निकल आवे तो तीसरा, चैथा, पाँचवाँ इत्यादि ? क्यों यही ना ? यह विवाह नहीं ठेका है ।