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' आर्थिक भूगोल

१२२ भार्थिक भूगोल पशुओं को खेत पर रख कर उनके गोबर तथा पेशाब के द्वारा भूमि को उपजाऊ बनाता है। कुछ समय से पश्चिमीय देशों में रासायनिक खाद का भी उपयोग होने लगा है। आवश्यकता पड़ने पर किसान सोडा-नाईट्रेट ( Nitrate of Soda ) अमोनिया-सलफेट (Sulphate of Amonia ) तथा फासकेट्स (Phosphates ) का भी उपयोग करता है। किन्तु यह रासायनिक खाना (Chemical fertilizers ) अधिक खर्चीले होते हैं इस कारण उनका उपयोग केवल अधिक मूल्यवान फसलों के लिए होता है। साथ ही केवल वे ही किसान इसका उपयोग करते हैं जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी हो। जैसे जैसे जनसंख्या बढ़ती जा रही है और उसके लिए अधिकाधिक भोजन को उत्पन्न करने की आवश्यकता भी बढ़ रही है वैसे ही वैसे अधिकाधिक खाद का उपयोग बढ़ रहा है। यह तो पहले ही कहा जा चुका है कि खेती के लिए जल भी नितान्त आवश्यक है। अधिकांश भूभाग में खेती वर्षा के जल खेती में जल से ही होती है। किन्तु जिन प्रदेशों में २० इंच से भी का महत्त्व कम वर्षा होती है वहाँ जल की कमी के कारण खेती बिना सिंचाई के नहीं हो सकती । यह न भूल जाना चाहिए कि संसार में जितनी भूमि पर खेती होती है उसका अधिकांश भाग बिना सिंचाई के फसलें उत्पन्न करता है। उसकी तुलना में सींची जाने वाली भूमि बहुत थोड़ी है। जिन प्रदेशों में वर्षा लगातार नहीं होती वरन किसी खास मौसम में होती है वहाँ सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। उदाहरण सिंचाई ( Irris के लिए मानसून वाले प्रदेशों में जहां वर्षा केवल gntion ) वर्ष के तीन चार महीनों में ही होती है बिना सिंचाई के खेती नहीं की जा सकती। यही नहीं जहाँ वर्षा आवश्यकता से कम होती है वहाँ भी सिंचाई की जाती है। सिंचाई के द्वारा खेती करने में खर्च तथा श्रम अधिक पड़ता है। किन्तु सिंचाई पर निर्भर रह कर खेती करने वालों को एक सुविधा यह रहती है कि पानी उनके अधिकार में रहता है, जब आवश्यकता होती है तभी वह खेत को पानी दे सकता है। इस कारण सिंचाई द्वारा खेती करने से पैदावार अधिक होती है। सिंचाई के निम्नलिखित तीन साधन हैं (१) नदियों से नहरें निकाल. कर सिंचाई की जाती है । नदियाँ ऐसी होना जरूरी हैं कि जिनमें सदैव पानी रहता हो (२) तालाब अथवा झील में जिसमें वर्षा का पानी इकट्ठा