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आर्थिक भूगोल

प्रार्षिक भूगोल गरम पानी में डाला जाता है जिससे पानी में शक्कर का अंश घुल जाता है। फिर रस की तरह ही उस मीठे पानी से शक्कर बना लेते हैं। चुकन्दर को.पचियाँ तथा टहनियां पशुओं के खाने में आती हैं । चुकन्दर की लुब्दी भी जानवरों को खिलाई जाती है । चुकन्दर की खेती धने आबाद कृषि-प्रधान देशों में अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि खेती में काम आने वाले को सहज में ही चारा मिल जाता है। गन्ना और चुकन्दर जिन देशों में उत्पन्न होता है वहाँ शक्कर भी तैयार की जाती है किन्तु अधिकांश चुकन्दर उत्पन्न करने वाले देशों में ही सारी खप जाती है बाहर भेजने के लिए कुछ नहीं बचती । केवल जैकोस्लोवाकिया ही चुकन्दर की चीनी विदेशों में भेजता है। कुछ चीनी पोलैंड से भी विदेशों को जाती है। शक्कर का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार अधिकतर गन्ने की शक्कर में ही होता है। १९२६ ई. के पूर्व भारतवर्ष बहुत सी शक्कर बाहर से ( विशेष कर जावा से ) मँगाता था। किन्तु १९२९ में शक्कर के धन्धे को रकार ने संरक्षण ( Protection ) प्रदान किया तबसे शक्कर के कारखानों की भारतवर्ष में इस तेज़ी से स्थापना हुई कि अब भारतवर्ष नाम मात्र को ही शक्कर बाहर से मँगाता है । यद्यपि भारतवर्ष संसार में सबसे अधिक शकर तैयार करता है किन्तु यहाँ से विदेशों को शक्कर नहीं जाती । गन्ने की शक्कर बाहर भेजने वालों में क्रमशः क्यूबा, जावा, हवाई फिलीपाइन्स और पीरू मुख्य हैं। शक्कर बाहर से मँगाने वालों में संयुक्तराज्य अमेरिका तथा ब्रिटेन मुख्य हैं। थोड़ी सी शक्कर जापान, चीन और भारतवर्ष में भी आती है। गन्ना और सफेद चुकन्दर के अतिरिक्त कनाडा और संयुक्तराज्य अमेरिका में मैपिल ( Maple tree) से चीन तथा संयुक्तराज्य अमेरिका में ज्वार बाजरा मक्का और सारशूम (Sarghum) से, तपा गरम देशों (Tropics) में खजूर, नारियल, सागो (Sago) तपा खजूर (Palmyra Palm) से भी थोड़ी रास्कर उत्पन्न की जाती है। यह तो हम पहले ही कह चुके हैं कि क्यूबा, जावा, तपा हवाई द्वीपों में गन्ने का धंधा बहुत उन्नत कर गया है। हम शकर का धंधा यहाँ उसका संक्षिप्त विवरण देंगे। (Sugar स्यूवा ( Cuba ) का जलवायु गन्ने की पैदावार Industry) के लिए आदर्श है हाँ कभी भी सूखा पड़ जाता है। गन्ने की फसल को तैयार होने में १२ से १५ महीने लगते हैं। और एक बार गन्ना यो देने से कई वर्षों तक लगातार