पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/१८८

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नवां परिच्छेद
मुख्य धंधे-खनिज सम्पति ( Mineral wealth )

. नवाँ परिच्छेद मुख्य धंधे-खनिज सम्पत्ति ( Mineral. Wealth ) आधुनिक प्रौद्योगिक उन्नति का प्राधार खनिज पदार्थ ही हैं। मनुष्य को खनिज पदार्थों ( Minerals) का उपयोग बहुत पीछे ज्ञात हुआ। प्राचीन समय में मनुष्य , पत्थर तथा अन्य कठोर वस्तुओं से काटने तथा छोलने का काम लेता था। परन्तु धीरे-धीरे धातुओं का पता लगा और उनका उपयोग किया जाने लगा। यदि मनुष्य समाज के पास धातुयें न होती तो उसकी उत्पादन शक्ति बहुत कम हाती। बिना धातुओं का उपयोग किये जो औद्योगिक उन्नति आज दिखलाई देती है वह हो ही नहीं सकती । सभ्यता के विकास में पातुओं का बहुत बड़ा भाग रहा है। जब तक लोहे को गला कर मनुष्य ने हल तथा खेती के अन्य औजार बनाना, नहीं सीखा तब तक खेती बहुत नरम जमीन पर ही सम्भव थी। आज-कल बिना लोहे और कोयले के प्रौद्योगिक उन्नति सम्भव ही नहीं है। बीसवीं शताब्दी में जल विद्युत् ( Water power ) उत्पन्न की जाने लगी है परन्तु फिर भी थोड़ी बहुत कोयले की आवश्यकता तो बनी ही रहेगी। लोहे के बिना तो किसी देश की भी औद्योगिक उन्नति नहीं हो सकती। केवल लोहा ही नहीं, बीसवीं शताब्दी के वैज्ञानिक युग में मनुष्य समाज अन्य धातुओं का इतना अधिक उपयोग करने लगा है कि उनके बिना उसका एक दिन भी काम नहीं चल सकता। वनस्पति की भाँति खनिज पदार्थ ( Minerals) भिन्न-भिन्न स्थानों पर उपजाये नहीं जा सकते । वे पृथ्वी के गर्भ में प्रकृति के द्वारा उत्पन्न किए जाते हैं। यदि मनुष्य खनिज पदार्थे। को खोदकर न निकाले तो वे अनन्त काल तक पृथ्वी के गर्भ में ही पड़े रहें । मनुष्य लाख प्रयना करने पर भी धातुओं को उत्पन्न नहीं कर सकता । हाँ वह यह अवश्य जान सकता है कि वे धातुयें कहां मिलेंगी। एक बार खनिज पदार्थ को निकाल लेने के उपरान्त उन खानों में फिर से धातु उत्पन्न नहीं की जा सकती । इस कारण खान को खोदना प्रकृति के जुटाये हुए धन को निकाल लेना है । यदि मनुष्य मूर्खतावश खानों को शीघ्र हो .