पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/२०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
आर्थिक भूगोल के सिद्धान्त

आर्थिक भूगोल के सिद्धान्त कही वह पृथ्वी से दूर हट जाता है । भूकंपों के कारण तो धरातल में यकायक भयंकर पज्ञरिवर्तन हो जाता है, थोड़े से ही समय में धरातल की कायापलट हो जाती है। किन्तु अधिकतर परिवर्तन इतने धीरे-धीरे होते हैं कि मनुष्य को उनका आभास तक नहीं होता। धरातल की बनावट मनुष्य की आर्थिक स्थिति पर बहुत प्रभाव डालती है । जलवायु तथा पैदावार बहुत कुछ धरातल की बनावट पर ही निर्भर हैं, परन्तु प्रत्यक्ष रूप से भी धरातल की बनावट ( Relief ) किसी भी प्रदेश की आर्थिक उन्नति की सीमा को निर्धारित करती है। जैसे, ऊँचे पहाड़ों से भरे हये प्रदेश की आर्थिक उन्नति अधिक नहीं हो सकती क्योंकि न तो वहाँ खेती- बारी ही अधिक हो सकती है, न उद्योग-धंधों की ही उन्नति हो सकती है, और न मार्गों की ही सुविधा होती है। यही कारण है कि ऐसे प्रदेशों में आबादी घनी नहीं होती। पहाड़ी प्रदेशों के निवासियों के मुख्य धंधे पशु- पालन, खान खोदना, तथा लकड़ी की वस्तुयें बनाना है। पहाड़ी प्रदेशों के विपरीत जहाँ नीचे मैदान होते हैं वहाँ यदि भूमि उपजाऊ हो तो आबादी धनी होती है, क्योंकि वहां खेती-बारी तथा धंधे पनप सकते हैं और मागी की सुविधा होने से व्यापार की उन्नति हो सकती है। __यही नहीं धरातल की बनावट मनुष्य के शरीर पर भी प्रभाव डालती है। उदाहरण के लिए पर्वत पर रहने वाला मनुष्य हृष्टपुष्ट सादा तथा परिश्रमी होता है क्योंकि वह कड़ी मेहनत के बाद ही अपनी थोड़ी सी आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है। किन्तु मैदानों में रहने वाला कमजोर होता है क्योंकि वह थोड़े से परिश्रम से ही अपनी बहुत सी आवश्यकताओं को पूरा कर लेता है। इनके साथ ही हमें नदियों के प्रभाव पर भी विचार करना आवश्यक है। नदियां मनुष्य की आर्थिक उन्नति में बहुत अधिक सहायक होती हैं। खेतों की सिंचाई तो नदियों के द्वारा होती ही है रेलों के पूर्व यही मुख्य व्यापारिक मार्ग थे। आज भी बहुत सो नदियाँ मार्ग की सुविधा प्रदान करती हैं। आधुनिक काल में पानी से सस्ते दामों में बिजली उत्पन्न करने की विधि ने पहाड़ी नदियों के महत्व को बहुत बढ़ा दिया है। पृथ्वी के धरातल की बनावट का अध्ययन इसलिए भी आवश्यक है कि इससे एक प्रदेश का दूसरे से सम्बन्ध मालूम होता है । यदि कोई विद्यार्थी बम्बई के बन्दरगाह का महत्त्व जानना चाहता है तो उसे भारतवर्ष के उस प्रदेश के विषय में जानकारी प्राप्त करना चाहिए जिसकी पैदावार बम्बई से बाहर भेजी जाती है। आधुनिक प्रौद्योगिक केन्द्र ‘उन स्थानों पर पाये जाते