पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/२१६

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आर्थिक भूगोल

.. . २०६ आर्थिक भूगोल काम में आता है । जहाँ बिजली नहीं है और जहाँ बड़े बड़े ऐंजिन जो भाप से चलते हैं, काम में नहीं आ सकते, वहाँ यह छोटा सा ऐंजिन तेल से चलने के कारण अधिक उपयोगी सिद्ध होता है। गांवों में, खेतों पर, समुद्री तथा हवाई जहाजों में, डिसल ऐंजिन ने कोयले को अपने स्थान से हटा दिया है किन्तु बड़े बड़े कारखानों में इसका उपयोग नहीं किया जा सकता। क्योंकि उसमें व्यय अधिक होता है। मिट्टी का तेल जिन देशों में निकाला जाता है वहां इसका उपयोग अधिक नहीं होता, अधिकांश तेल विदेशों को भेजा जाता है। अधिकतर तेल की खाने समुद्र तट से दूर हैं इस कारण कच्चे तेल को पाइप लाइनों के द्वारा बन्दरगाहों तक ले जाया जाता है और वहाँ कारखानों (Refineries ) में शुद्ध किया जाता है। वहाँ से तेल बाहर भेजा जाता है। मिट्टी के तेल की मांग बढ़ जाने से नई नई तेल की खाने दंढ़ निकाली गई हैं। तेल (Petroleum ) की खानों को अपने अधिकार में लाने के लिए संसार के प्रबल साम्राज्यवादी राष्ट्रों में आपस में बहुत कुछ संघर्ष हुआ है और बहुत से प्रदेशों को अपनी स्वाधीनता केवल इस लिए खोनी पड़ी है क्योंकि उनके धरातल के नीचे तेल बहता था। खनिज तेल ने वनस्पति के तेल का महत्व कम कर दिया है। खनिज तेल कोयले से भी अधिक शक्ति उत्पन्न करता है किन्तु उसको भर कर रखने में बड़ी सावधानी की आवश्यकता है। संसार के भिन्न भिन्न देशों में खनिज तेल -(Petroleum) का अनुमान इस प्रकार है। देश दस लाख-बैरल (Barrel-) में =४२ गैलन) संयुक्तराज्य अमेरिका (U. S. A.) : ७००० से १०.. तक फारस और इराक ५८२१ रूस । दक्षिण पूर्व) मैक्सिको Afexico) ४५२५ दक्षिण अमेरिका ( उत्तरी भाग) ५७३० (दक्षिणी भाग) ३५५० पूर्वीय द्वीपसमूह ( East Indies ) भारतवर्ष कनाडा कुल पृथ्वी का अनुमानित तेल ४३००० से ६५००० तक (.१ बैरल . ६००