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व्यापारिक मार्ग तथा व्यापारिक केंद्र

व्यापारिक मार्ग तथा व्यापारिक केन्द्र २५ । चान को धीमा या तेज कर देती है। यही कारण है कि हवाई जहाजों के उड़ने का तो समय दिया जाता है परन्तु बहुधा किसी स्थान परहुँचने का समय नहीं दिया जाता। बहुत अधिक गरमो और तापक्रमों का जल्दी जल्दी बदक्षना भी हवाई मार्ग के लिए अनुकूल नहीं पड़ता । यही कारण है कि हवाई मार्ग रेगिस्तानों के ऊपर से होकर नहीं जाते। धरातल को बनावट का भी हवाई मार्ग पर प्रभाव पड़ता है । जहाज़ के उतरने के लिए चौरस मैदान की आवश्यकता होती है । इसके अतिरिक्त प्रत्येक मशीन एक निश्चित ऊँचाई तक हो सकुशल उड़ सकती है। यदि मार्ग में बहुत ऊँचे पहाड़ हों तो कठिनाई हो सकती है। इसी कारण हवाई मार्ग नीचे मैदानों में से ही होकर जाते हैं। योरोप में प्रापस पर्वत तपा संयुक्तराज्य अमेरिका के राको पर्वत पर उड़ते समय हवाई जहाज़ घाटियों और दरों में से होकर जाते हैं। जो कुछ भी हो भविष्य में हवाई जहाज़ रेल और समुद्र के जहाजों से माल ले जाने में प्रतिस्पर्धा कर सकें इसकी सम्भावना नहीं है। इवाई जहाजों का उपयोग युद्ध में, यात्रियों को ले जाने में, तथा हल्का परन्तु मूल्यवान समान ले जाने में ही हो सकेगा। १. योरोप और अमेरिका का मार्ग-इस मार्ग पर विशेष रूप से जरमन और मैंच हवाई जहाज उड़ते हैं। यह मार्ग अफ्रीका के अटलांटिक तट पर डाकर तक जाता है वहाँ से वह अटलारिक को पार करके पैराम्बुको ( Perambuco ) (ब्राजील में ) पहुँचता है । पैरम्बुको और सैन्टियागी (चिली) एक हवाई मार्ग द्वारा जुड़े हैं। संयुक्तराज्य अमेरिका का हवाई मार्ग पैराम्बुको पर श्राकर मिलता है । २. योरोग, एशिया और आस्ट्रेलिया के हवाई मार्ग पर प्रच, डच और ब्रिटिश जहाज अधिकतर उड़ते हैं। ब्रिटिश हवाई मार्ग लंदन से चल कर मार्सलीज़ ऐथिस, अलतेंद्रिया, करो, गाजा, बगदाद, बेहरिन, घरजा, करांची, जोधपूर, हेहली, इलाहाबाद, कलकत्ता, रंगून, बैंगकाक, पिनांग, सिंगापूर, बटाविया, डारविन, बिसवेन और सिडनी होता हुआ मैलवान पर समाप्त होता है। मैंच और डच भी इसी मार्ग का उपयोग करते हैं। अभी कुछ समय हुश्रा सोवियत रूस ने एक नई लाइन खोली है जो मास्को और लाहिवास्टक को जोहती है। ३. योरोप और अफ्रीका के हवाई मार्ग-योरोप और अफ्रोका के बीच अधिकतर ब्रिटिश, मैंच और इटैलियन हवाई जहाज चलते हैं। ब्रिटिश -