पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/३१२

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३०२
आर्थिक भूगोल

३०२ आर्थिक भूगोल हैं और भविष्य में वह समय शीघ्र पाने वाला है जब कि यह महाद्वीप भी औद्योगिक उन्नति करेगा। एशिया की बनावट कुछ विचित्र है। इस महाद्वीप के ध्य में पामीर का ऊँचा पठार है। जिससे निकल कर दो पर्वत मालायें दोनों ओर (पूर्व पश्चिम ) को फैलती हैं। पूर्वी पर्वतमाला एक सी चली गई है किन्तु पश्चिम में यद्यपि श्रेणियों बहुत हैं किन्तु ऊँची और एक सी नही हैं । इन टूटी फूटी पर्वत मालाओं की अनेक श्रेणियों ने पश्चिम में ईरान का पठार तथा अन्य कम ऊँचे प्रदेश बहुतायत से बना दिए हैं। यही कारण है कि अफगानिस्तान, फारस तथा एशिया मायनर अधिक उन्नति न कर सके पूर्व में पर्वत श्रेणी बहुत ऊँची तथा एक सी चली गई है। इस श्रेणी की दो शाखायें हैं। एक हिमालय तथा तिब्बत की श्रेणियों, दूसरी क्यूनलिन, स्टैनोवी तपा यांबलोनियाँ की श्रेणियाँ जो उत्तर की ओर जाती हैं। इन ऊंची पर्वत श्रेणियों के मध्य में तथा इनके दक्षिण में विस्तृत उपजाऊ मैदान हैं जिनमें घनी जनसंख्या निवास करती है । उत्तर में सायबेरिया का विशाल मैदान है जहाँ का जलवायु बहुत ही ठंडा है । परन्तु सेविट रूस की सरकार के प्रयत्नों के फलस्वरूप यही गमनागमन के साधनों की उन्नति हो रही है और खेती को तो तीव्रगति से उन्नति की जा रही है । भविष्य में सायबेरिया अनन्त राशि में गेहूँ तथा अन्य अनाज उत्पन्न गरेगा। पश्चिम में ईरान का पठार है जो कि अधिकांश शुष्क और पथरीला है। पश्चिम में. अरब का रेगिस्तान है। आर्थिक दृष्टि से पश्चिमीयं मांग महत्वहीन है। अधिकांश जनसंख्या खेती बारी और विशेषकर पशुपालन से निर्वाह करती है । हाँ ईरान, इराक तथा पश्चिमीय मरुभूमि में तेल मिलता है। इसी तेल के कारण पैलेस्टाइन, इराक फारस, तथा अन्य प्रदेशों में काफी राजनैतिक उथल पुथल हुई हैं। एशियाई देश पिछली शताब्दी में राजनैतिक दृष्टि से या तो योरोपीय जातियों की वाधीनता में रहे हैं अथवा उनके प्रभाव क्षेत्र में हैं। इस कारण वे अपने उद्योग-धंधों की उन्नति ही न कर सके। परन्तु बीसवीं शताब्दी में एशियाई राष्ट्रों में नव जागरण हुश्रा है और वे अपने उद्योग-धंधों की उन्नति करने में विशेष रूप से सचेष्ट है। फल स्वरूप अफगानिस्तान, इंगन, तथा अन्य देशों में श्राधुनिक ढंग के कारखाने स्थापित किए जा रहे हैं। सायबेरिया हो एक ऐसा विशाल किन्तु आर्थिक दृष्टि से पिछड़ा हुश्रा भूभाग है.जो भविष्य में खेती की दृष्टि से उन्नति करेगा। किन्तु पश्चिमी एशियाई देश पपरीले शुष्क एवं खनिज पदार्थों से हीन हैं। केवल ईरान