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आर्थिक भूगोल

आर्थिक भूगोल उससे छीन लिए गए । यही नहीं जर्मनी का लारेन लोहे की खानों का प्रान्त तथा एलसेस सूती कपड़े के धन्धे का प्रान्त फ्रांस को दे दिया गया । सिलीशिया की कोयले की खानों का प्रदेश पोलैंड को दिया गया। पोसन का उपजाऊ प्रान्त भी जर्मनी के हाथ से निकल गया। किन्तु पिछले वर्षों में जर्मनी ने यह प्रान्त अपने पड़ोसियों से फिर वापस छीन लिए । यही नहीं उसने इन प्रान्तों के अतिरिक्त पोलैंड, आस्ट्रिया, चेकोस्लावाकिया को भी उदरस्प कर लिया। पर १९३६-४५ के युद्ध के फलस्वरूप ये सब प्रदेश जर्मनी के अधिकार से निकल गये और उसका औद्योगिक महत्व घट गया। यही नहीं युद्ध के हर्नाने के फल स्वरूप उसके कारखानों को भी हटा कर विजेता देश अपने यहाँ ले गए। अब तो ऐसा प्रतीत होता है कि जर्मनी केवल खेतिहर देश बना दिया जावेगा। जर्मनी में जो पाल्पस पर्वत की श्रेणियां हैं वे केवल उनकी बाहरी शाखायें हैं। इस पर्वत श्रेणी के उत्तर में डैन्यूब नदी पाल्पस का तक भूमि है। वह ग्लेशियर द्वारा लाई हुई मिट्टी से पर्वतीय प्रदेश बनी है । यद्यपि यह प्रदेश बहुत उपनाऊ नहीं है फिर भी घाटियों में खेती होती है । डैन्यूब की घाटी में भूमि उपजाऊ है इसलिए वहाँ पैदावार बहुत होती है। इस प्रदेश की ऊचाई अधिक होने के कारण गर्मी कम और वर्षा अधिक होती है, पहाड़ों के ढाल सघन वन से ढके हुए हैं इन ढालों पर घास बहुत होती है इस कारण दक्षिण पर्वतीय प्रदेश में पशु बहुत चराये जाते हैं। डैन्यूब की घाटी में पैदावार बहुत होती है, यहाँ की मुख्य पैदावार गेहूँ तथा हाप्स ( Hops ) है जिससे शराब बनाई जाती है। शराब और गेहूँ यहाँ की मुख्य पैदावार है । इस प्रदेश में खनिज पदार्थ अधिक नहीं हैं केवल थोड़ा सा लिगनाइट जाति का कोयला मिलता है। परन्तु यहाँ जल बहुत है इस कारण यहाँ नदियों के जल से बिजली खूब उत्पन्न की गई है। दक्षिण जर्मनी और श्रालस में जल विद्युत बहुत उत्पन्न की जाती है नेकार (Neckar) से जो नहरें निकाली गई हैं उनके जलशक्ति जल से विद्युत बनाई जाती है। मेन नदी, बवेरिया की मीलें, वालचेन्सी (Walehensee) तथा कोचेलसी ( Kochelsee ), से भी बिजली उत्पन्न की जाती है । बवेरिया में मुलडार्फ ( fuhldorf ) के समीप इनवर्क के पावर स्टेशन से एक लाख घोड़ों को शक्ति उत्पन्न की जाती है | अर्ज गैबिन ( Erz Gebrige) तथा र ( Ruhr ) प्रदेश में नदयों के बाप बनाकर पानी को रोक लिया गया है