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आर्थिक भूगोल

३४२ आर्थिक भूगोल Industries ) की बहुत उन्नति हुई है। इसका मुख्य कारण यह है कि जर्मनी में नमक और पोटाश बहुत पाया जाता है। उत्तर के मैदानों में नमक को चट्टानें बहुत मिलती हैं। इसके अतिरिक्त थूरिंजिया ( Thurin- gia) को घाटियों में भी पोटाश बहुत मिलता है। पोटाश की अधिकता के कारण यहाँ रसायनिक खाद बनाने का धन्धा भी बहुत उन्नति कर गया है जिससे खेती को बहुत लाभ पहुँचा है । पोटाश तथा. नमक के अतिरिक्त कोयले के कारण भी बहुत से रसायनिक धन्धे स्थापित हो गए हैं। जर्मनी ने कोलतार से रंग बनाने में आश्चर्यजनक सफलता प्राप्त की है। जल विद्युत के द्वारा भी इन धन्धों को बहुत सहायता मिली और अधिकतर यह धन्धे ऐसे स्थानों पर ही केन्द्रित हैं जहाँ जन्म विद्युत है। इन धन्धों के केन्द्र अधिकतर नदियों के किनारे पर हैं, क्योंकि इन धंधों के लिए भारी कच्चे माल की आवश्यकता होती है। लुडविगशेफन ( Ludwigshifen ) जो मैनहीम नदी पर स्थित है रंग बनाने का मुख्य केन्द्र है। मिट्टी के बर्तन तथा शीशे के बर्तन बनाने का धंधा भी यहाँ महत्त्वपूर्ण है। मध्य के ऊँचे प्रदेश में यह धंधा स्थापित है। जेना (Jenn) शीशे के धंधे का मुख्य केन्द्र है । इसके अतिरिक्त रुर ( Ruhr ) तथा उत्तर के मैदान में भी यह धंधा खूब चलता है । जहाँ जन्न तथा लकड़ी की लुब्दी मिलने को मुविधा है वहाँ कागज़ का धंधा केन्द्रित है। कागज़ बनाने के केन्द्र बाल्टिक प्रदेशों से भी लुब्दी मँगाते हैं। ऐसचैफेनबर्ग ( Aschaffenburg) लिपजिग ( Leipzig ) तथा स्टटगार्ट ( Stuttgart ) कागज़ बनाने के मुख्य केन्द्र हैं। दूसरे महायुद्ध ( १९३६ ) में पराजित होने के फन्न स्वरुप जरमनी के उद्योग-धंधों को भयंकर हानि पहुँची है। यही नहीं कि जैकोस्लावाकिया, पोलैंड, आस्ट्रिया, हंगरी इत्यादि देश जिन्हें हिटलर ने जरमन राष्ट्र में मिला लिया था वे उससे छीन लिए गए वरन उस पर मित्र राष्ट्रों का कब्जा हो गया और उसके बहुत से कारखाने रुस तथा मित्र राष्ट्रों में उठा कर लेजाये गए । जरमनी के आर्थिक ढाँचे पर मित्र राष्ट्रों का अधिकार है । ऐसा प्रतीत होता है कि जरमन राष्ट्र को फिर अपने धंधों का पुनः संगठन करने में बहुत समय लगेगा । अाज तो जरमनी ऐसा पंगु और निर्बल कर दिया गया है। उसके धंधों को इस प्रकार नष्ट कर दिया गया है कि वह बहुत समय के लिए श्रौद्योगिक नहीं रहेगा। रुस का धरातल बिलकुल चौरस मैदान है । पर्वतीय प्रदेश बहुत कम .