पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/३७९

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आर्थिक भूगोल

३६८ आर्थिक भूगोल (३) दक्षिण का पठार जो मैदानों के दक्षिण में है। (४) तटीय मैदान जो दक्षिण पठार के पूर्व और पश्चिम में है। दक्षिण पठार के उत्तर पूर्व में जो प्रदेश है और जो आज़ पर्वतीय. प्रदेश तथा गंगा के मैदान के नाम से प्रसिद्ध है किसी पर्वतीय प्रदेश समय समुद्र में नीचे छिपा हुआ था । जिस समय दक्षिण पठार ज्वालामुखी विस्फोट के कारण लावा से ढक गया उसी समय पृथ्वी के धरातल में ऐसा भयंकर परिवर्तन हुआ कि जिससे उत्तर के छिछले समुद्र का धरातल ऊँचा उठकर संसार के सबसे ऊँचे पर्वत में परिणत हो गया। इस नवीन पर्वत श्रेणी से नदियों ने प्रति वर्ष अनन्त राशि में मिट्टी तथा रेता ला ला कर इस छिछले समुद्र को पाटना प्रारम्भ कर दिया और क्रमशः इस विस्तृत क्षेत्र को उन्होंने संसार के सबसे अधिक उपजाऊ मैदानों में परिणात कर दिया। उत्तर का विशाल हिमालय पर्वत संसार भर के पहाड़ों से अधिक ऊँचा है। इसको पर्वत श्रेणियाँ पामीर से प्रारम्भ होती हैं । इस उत्तरी पर्वतीय प्रदेश में हिमालय की केवल एक ही श्रेणी नहीं है। वास्तव में हिमालय पर्वत प्रायः तीन समानान्तर श्रेणियों से बने हैं। मैदान के किनारे वाली श्रेणी मैदान को तरह ही मिट्टी, बालू, और कंकड़ की बनी है। यह श्रेणी अधिक ऊँची. नहीं है इसे शिवालिक के नाम से पुकारते हैं। इसके उत्तर में दूसरी श्रेणी है जो पचास साठ मील चौड़ी और ६००० से १२००० फुट तक ऊँची है । शिवालिक तथा इस श्रेणी के बीच में खुले हुए मैदान हैं। दूसरी श्रेणी के उत्तर में हिमालय को तीसरी श्रेणी है जो सबसे अधिक ऊँची है। इस श्रेणी की औसत ऊँचाई २०,००० फीट है। हिमालय की प्रसिद्ध ' चोटियां नगा पर्वत, नंदा देवी, गौरीशंकर (माउंट एवरेस्ट ) किंचिंचिंगा और धौलागिरि इत्यादि श्रेणियाँ इसी में हैं। इस श्रेणी की कई चोटियाँ साल भर तक बरफ से ढकी रहती हैं। इस श्रेणी के दरें भी १६००० से १८००० फीट तक ऊंचे हैं। इस कारण इनको पार करके तिव्बत के पठार में जाना बहुत दुष्कर है। मार्ग अत्यन्त दुर्गम होते हैं। केवल पगडंडियाँ मात्र ही होता है। मनुष्य अथवा पशु का तनिक भी पैर फिसलने पर हजारों फीट गहरे गड़हों में गिरने की आशंका प्रत्येक क्षण बनी रहती है। नदियाँ भयंकर तथा अत्यन्त गहरी कंदराओं में होकर बहती हैं जिन्हें रस्से के पुल करना पड़ता है। यही कारण है कि हिमालय उत्तर भारत तथा तिब्बत में एक अभेद्य दीवार की भांति खड़ा है और किसी प्रकार का आवागमन तथा से पार