पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/३८४

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भारतवर्ष प्रकृति

भारतवर्ष की प्रकृति सकती। "भाभर" ५ मील से लेकर २० मील तक चौड़ा है। खेती न हो सकने के कारण इस प्रदेश में प्रायः श्राबादी नहीं है। "भामर" के आगे ज़मीन मैदान में मिल जाती है। यहां पर वह पानी जो भाभर में अन्दर चला जाता है पृथ्वी पर प्रगट होता है। इससे यहाँ दलदल और नमी बहुत है । इस नम प्रदेश में लम्बी घास और सघन वन हैं परन्तु नमी अधिक होने के कारण यहाँ मलेरिया का अधिक प्रकोप रहता है इस कारण आबादी बहुत कम है। इस मलेरिया के प्रदेश को तराई कहते हैं। पश्चिम में वर्षा कम होती है। इस कारण पश्चिम में मैदानों तथा भाभर के बीच में तराई नहीं है। पूर्व तथा मध्य में तराई का प्रदेश है जो कि माभर से अधिक चौड़ा है। गंगा और सिंध के मैदानों में दक्षिण में पठार हैं। यह पठार का प्रदेश भारतवर्ष का सबसे प्राचीन हिस्सा है। यह पठार पठार का प्रदेश कई बड़े और छोटे पठारों में विभाजित है। यह पठार अरावली तथा पश्चिमी और पूर्वी घाटों द्वारा एक दूसरे से पृथक कर दिए गए हैं। दक्षिण का पठार असंख्य वर्षों से समुद्र के गर्म में नहीं गया है। वास्तव में यह भाग खुली घाटियों का प्रदेश है यहाँ ढाल अधिक नहीं हैं और नदियाँ धीरे धीरे बहती हैं। कहीं कहीं पहाड़ियों का ढाल बहुत अधिक है परन्तु अधिकतर प्रायद्वीप में वास्तविक पर्वत श्रेणियां नहीं मिलती। गंगा और सिंध के दक्षिण में मालवा और बुंदेलखंड की ज़मीन धीरे धीरे ऊँची होती गई है। मालवा पठार में विंध्याचल पर्वत ऊँचा और लम्बा है। यह बम्बई प्रान्त से प्रारम्भ होकर मध्यप्रान्त, बघेलखंड, संयुक्तप्रान्त में होते हुए बिहार उड़ीसा प्रान्त में सोन घाटी तक फैला हुआ है । यह पहाड़ गंगा के प्रदेश को नर्मदा, ताप्ती, और महानदी से मिलने वाले पानी से पृथक् करता है। मालवा पठार के पश्चिम में अरावली की पहाड़ियाँ हैं। उत्तर पूर्व की ओर ये पहाडियां पतली होती गई हैं और देहली के समीप ये पहाड़ियाँ समाप्त हो गई हैं। अरावली की पहाड़ियों को बनास, माही, और लूनी नदियां पार करती हैं। ये नदियां अरब सागर में जाकर गिरती हैं। चम्बल नदी पूर्व की ओर बह कर जमुना में मिल जाती है । माऊँट आबू इस पर्वत माला का सबसे ऊँचा स्थान है। नर्मदा के दक्षिण को दक्षिण का ऊंचा पठार कहते हैं। यह त्रिभुजाकार है और सब तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ है। उत्तर में सतपुड़ा को पत्र 5