पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/४२०

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खनिज सम्पति

खनिज सम्पत्ति भारतवर्ष से बाहर जाने वाले मैंगनीज़ का अधिक भाग ब्रिटेन को जाता है। इसके अतिरिक्त फ्रांस, जर्मनी, जापान, बैलजियम, को भी यहाँ से.मैंगनीज़ भेजा जाता है। दूसरे महायुद्ध के पूर्व भारत में वार्षिक मैंगनीज़ को उत्पत्ति इस प्रकार पी:- 1 मध्य प्रान्त टन टन टन ३,२५,१७६ मदास १,७५,५७१ उड़ीसा ७४,६६६ चम्बई ४,८६६ मैसूर ८७१ युद्ध के पूर्व मैंगनीज़ की वार्षिक उत्पत्ति का मूल्य लगभग चार करोड़ तीस लाख रुपये पा। ऊपर के विवरण से यह स्पष्ट हो जाता है कि मध्य प्रान्त सब से अधिक 'मैंगनीज़ उत्पन्न करता है। देश में जितना मैंगनीज़ उत्पन्न होता है उसका लगभग ६० प्रति शत मध्य प्रान्त में निकलता है । विजगापट्टम का बन्दरगाह बन जाने से धन्धे को और भी अधिक प्रोत्साहन मिला है क्योंकि विजिगापट्टम. . - रायपुर रेलवे बन जाने से मैंगनीज़ सरलता से विजिगापट्टम के बन्दरगाह पर पहुँच जाता है और वहां से विदेशों को चला जाता है । इस बन्दरगाह के, बनने से पूर्व मध्य प्रान्त को बम्बई और कलकत्ता बन्दरगाहों पर निर्भर रहना पड़ता पा इस कारण मैंगनीज़ को विदेशों को भेजने में बड़ी असुविधा होता थी। मदरास मध्य प्रान्त के आधे से कुछ अधिक मैंगनाज़ उत्पन्न करता है मुख्य उत्पत्ति केन्द्र बैलारी, सांदूर राज्य, और विडिगापट्टम जिले हैं। अधिकांश मैंगनीज़ विजिगापट्टम के बन्दरगाह से विदेशों को भेज दिया जाता है। उड़ीसा में केवल गंगपूर रियासत और सिंगभूमि से मैंगनीज़ निकलतां है उसकी वार्षिक उत्पत्ति २०,००० टन है । बम्बई और मैसूर में यद्यपि मैंगनीज़ की खानें बहुत से स्थानों पर पाया जाता है किन्तु उत्पादन अधिक नहीं है। पिछले कुछ वर्षों से यद्यपि भारत के स्टील के कारखानों में मैंगनीज़ की खपत बढ़ रही है फिर भी ७ लाख टन वार्षिक उत्पत्ति में से केवल १०,००० टन हा काम में आता है शेष विदेशों को भेजा जाता है। प्रा. भू०-५२