पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/४४२

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साँचा:Rh४३१

शक्ति के भीत विजली तैयार होती है और बम्बई शहर में रोशनी करने तथा कपड़े की मिलों में काम आती है। पहली योजना में ताता एयड संस को आशातीत सफलता मिली । बिजली की माँग इतनी थी कि वे उसे पूरा न कर सकते थे। अतएव उन्होंने आंधा वैली पावर सप्लाई कंपनी ( Andhra-Valley Power Supply Co. ) नामक एक दूसरी कंपनी स्थापित की । इस योजना के अनुसार तोकेर- वादी के समीप पश्चिम घाट में एक बहुत बड़ा बाँध ( मोल लंबा और १९१ फीट ऊँचा) बना कर आंधा नदी को रोक दिया गया है। इस बाँध के बन जाने से लगभग १२ मील लम्बा झील बन जाती है। इस झील का पानी पाइप लाइनों द्वारा १७५० फीट की ऊँचाई से भिवपुरी के पावर स्टेशन पर गिराया जाता है । यह पावर स्टेशन १ लाख घोड़ों की शक्ति के बराबर विद्युत् उत्पन्न कर सकता है । इस कारखाने से उत्पन्न हुई बिजली का उपयोग कतिपय मिलें, ट्राम कंपनी ता जी. पाई. पी रेलवे करती है। वास्तव में आना वैली योजना पहली योजना का विस्तार मात्र है। ताता ने एक तीसरी कपनी ताता पावर कंपनी स्थापित करके निक्षामुला- योजना को भी पूरा कर दिया । मुलशी नामक स्थान पर एक बहुत बड़ा बांध बनाकर निलामुला नदियों को रोक दिया गया है । इस झील से पानी १७५० फीट की ऊंचाई से मिरा नामक स्थान पर गिराया जाता है जहाँ कि शक्ति गृह ( Power-house ) बनाया गया है। इस कारखाने से उत्पन्न हुई बिजली का उपयोग कुछ मिलें, वी० बी० एपड० सी० आई रेलवे तथा जी० आई० पी रेलवे करती हैं। निलानुला के १०० मील दक्षिण कोनया नदी के जल से विद्युत् उत्पन्न करने का भी विचार है। तावा एपड सस ने इसकी भी योजना बनाई है। जब कभी यह योजना कार्य रूप में परिणत हुई तो इससे ३५०००० घोड़ों की शक्ति के बराबर बिजली उत्पन्न होगी। ताता कंपनी ने बड़ौदा राज्य में पोखा शति गृह ( Power Station ) स्थापित किया है जिससे १२,००० किलोवाट जल-विद्युत् उत्पन्न हो रही है और २०,००० किलोवाट तक उत्पन्न की जा सकती है। मद्रास प्रान्त का दक्षिणी भाग तथा मैसूर राज्य कोयले के क्षेत्र से बहुत दूर हैं। यहाँ के अधिकांश बड़े नगर समुद्र से मी दूर दक्षिण के जल- हैं। इस कारण कोयले को मंगाने में बहुत व्यय पड़ता विद्युत् उत्पन्न पाशक्ति उत्पन्न करने में अधिक न्यय होने के 3 .