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आर्थिक भूगोल

ina आधिक भूगोल राज्य । रुपया व्यय होगा और. पूरी हो जाने पर पूर्वी पंजाब में ४५ लाख एकड़ भूमि पर सिंचाई होगी और २ लाख किलोवाट बिजली उत्पन्न की जावेगी। पंजाब और संयुक्तप्रान्त की, सरकार ने जमुना को दो सहायक नदियों टोस और गिरी की योजना सम्मिलित रूप से हाथ में ली है। नाहन में इन नदियों के जल से ७५,०००. किलोवाट बिजली उत्पन्न की जावेगा । इस योजना में हरबर्टपूर से बीस मील दूर देहरादून चकराता और सहारनपूर चकराता सहकों के जकशन के समीप शक्ति-गृह स्थापित किया जावेगां जहाँ बिजली उत्पन्न होगी । संयुक्त प्रान्त में कुछ महत्वपूर्ण योजनायें प्रान्तीय सरकार ने स्वीकार कर ली हैं जिन पर काम प्रारम्भ हो गया है। इनमें सबसे अधिक महत्वपूर्ण रिहांड योजना है। यह सोन नदी की सहायक नदी है। मिरजापूर जिले में पिपरिया गांव के पास शक्ति-गृह स्थापित किया जावेगा। रिहांड योजना के बन जाने से लंगभा २.लाख किलोवाट बिजली उत्पन्न होगी और कानपूर को भी इसकी बिजली दी जा सकेगी। दूसरी.महत्वपूर्ण योजना जिसे संयुक्तधान्त की सरकार ने स्वीकार कर लिया है वह नायर बांध ( Nayur Dim ) की है । लैंसडौन : गढ़वाल ) के पास नायर नदी के जल.को (गंगा की सहायक ) ६०० फीट ऊँचा बांध बनाकर रोका जावेगा और उससे ३०,००० किलोवाट विजनी उत्पन्न होगी। इनके अतिरिक्त संयुक्तप्रान्त की अन्य योजनायें इस प्रकार हैं। (१) शारदा नहर बनबसा के पास बिजला उत्पन्न करना । (२) बेतवा और केन नदियों के जल से बिजली उत्पन्न करना । दक्षिण में भी कुछ महत्वपूर्ण योजनायें हैं जिन पर शीन ही कार्य श्रारम्भ हो जावेगा । इनमें गोदावरी की योजना सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। इस योजना के बन जाने पर २५ लाख एकड़ भूमि पर सिचाई होगी और १५,००० किलोवाट बिजली उत्पन्न होगी। दूसरी महत्वपूर्ण योजना 'तुंगभद्रा ! की है जिसके बन जाने से पाँच लाख एकड़ पर सिंचाई होगी और सात हजार किलोवाट बिजली उत्पन्न होगी। इनके अतिरिक्त महानदी और नर्मदा की भी योजनायें विचाराधीन हैं। भारत सरकार ने एक केन्द्रीय शक्ति बोर्ड बना दिया है जो प्रान्तों को बिजली उत्पन्न करने के सम्बन्ध में परामर्श देता है। ऐसा प्रतीत होता है कि भविष्य में भारतवर्ष में यथेष्ट शक्ति उत्पन्न होगी और खेती तथा धन्धों फी कायापलट हो जावेगी-जलविद्युत् की उन्नति से गृह उद्योग-धन्धों की मी आश्चर्यजनक उन्नति हो सकेगी।।