पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/४५६

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सिंचाई

सिंचाई दिया। १-पंजाब में सबसे पहली " बारी दो-भाव नहर १८६० में) रावी नदी से निकाली गई। यह नहर लाहौर और अमृतसर जिलों को सींचती है। दस वर्ष बाद जमुना से एक नहर निकाल कर दक्षिण पंजाब को पानी दिया गया। किन्तु इन नहरों से नई भूमि खेती के योग्य नहीं बनाई गई । नहरों के निकलने के पूर्व इन जिलों में कुओं से सिंचाई होती थी। नहरें निकल जाने से सिचाई की सुविधा अवश्य हो गई। सबसे पहले ( १८८८ ) मुलतान मिले को पानी देने के लिए सतलज नदी से एक नहर निकाली गई जिससे १,७७,००० एकड़ मरुभूमि पर खेती होने लगी और पास के राज्यों और जिलों से किस न आकर बस गए । इसके उपरान्त ( १८९२ में , लोअर चिनाब नहर निकाली गई जो कि पच्चीस लाख एकड़ भूमि से अधिक की सोचती है। इसके उपरान्त पंजाव में बड़ी शीघ्रता से नहरें निकाली जाने लगी । सन् १९०० में लोअर झेलम नहर " निकाली गई और उसके पानी से शाहपुर जिले के रेतीले मैदानों पर लहलहाते हुए खेत दिखाई देने लगे। इसके उपरान्त प्रसिद्ध टिपिल प्रोजेक्ट ( Triple project) बनाई गई । लाहौर के दक्षिण-पश्चिम में मांटगोमरी की मभूमि पड़ी हुई थी; किन्तु उसके निकट रावी नदी में उसे सोचने के लिए जल नहीं था।पजाब में केवल झेलम नदी ही ऐसी थी जिसमें आवश्यकता से अधिक पानी था; किन्तु मेलम नदो सौ मौल उत्तर में थी और बीच में चिनाव और रावी नदियां पड़ती थी । श्रतएव समस्या यह थी कि मेलम का पानी चिनाब और रावी नदियों को पार करके मांटगोमरी में किस तरह लाया जाये । इसको हल करने के लिए तीन नहरें निकाली गई (१) अपर मेलम नहर "जो मेलम का फिजूल पानी चिनाब में डाल देती है और रास्ते में ३५०,००० एकड़ भूमि सींचती है। मेलम के पानी से चिनांव में श्रावश्यकता से अधिक पानी हो जाता है। अतएव दूसरी नहर अपर चिनाब नहर" निकाली गई जो सस्ते में गुजरान बाला, तथा शेखूपर जिलों में साढ़े १ लाख एकड़ भूमि को . सींचती है। अन्त में यह नहर रावी पर एक पुल बनाकर उसके ऊपर से निकाली गई है। एक तीसरी नहर "बारी दो श्राप नहर " इस नहर के पानी को ले जाकर मांटगोमरी को सींचती है। इस नहर के द्वारा सींची हुई मरुभूमि पर अब लोअर बारी दो श्राब नहर " बस गई है। इन नहरों के द्वारा सींची हुई भूमि पर तीन बड़ी (लायटर, शाहपुर, और मांटगोमरी ) कालोनी जिनका क्षेत्रफल ४५ लाख एकई है वसाई .