पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/४५८

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सिंचाई

. सिंचाई सतलज नदी पर चार स्थानों (फोरोजपर, सुलेमानकी, ईसलाम, और पञ्चनद ) पर बाँध बनाकर पानी को रोक दिया गया है और इन बाँधों से नंदी के दोनों ओर ग्यारह नहरें निकाली गई। इन नहरों से पचास लाख एकड़ भूमि की सिंचाई होती है । इसमें बीस लाख एकड़ भूमि पंजाब में, २७ लाख एकड़ से अधिक बहावलप र राज्य में, तथा शेष बीकानेर राज्य में सींची जाती है। इन नहरों से एक बहुत बड़ा लाभ यह हुआ है कि लगभग सैंतालीस लाख एकड़ मरुभूमि जिस पर पहले तनिक भी पैदावार नहीं होती थी अब उपजाऊ भूमि बन गई है। इन नहरों के बनाने में २४ करोड़ रुपये से अधिक व्यय हुआ है। पंजाब में जितनी भूमि पर खेती होती है उसकी एक तिहाई भूमि नहरों के द्वारा सींची जाती है। सतलज की नहरें पंजाब में सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण हैं। पंजाब में नहरों द्वारा सींची जाने वाली भूमि की एक चौथियाई भूमि सतलज की नहरों से सींची ज.ती है। सींची हुई भूमि पर गेहूँ और कपास की पैदावार अधिक होती है । कुछ चावल भी होता है। यद्यपि पंजाब में खेती नहरों पर ही निर्भर है किन्तु यहाँ कुओं से मी सिंचाई होती है, हाँ, पश्चिमी जिलों में कुयें कम हैं। सिन्ध हिन्दोस्तान का सबसे अधिक सूखा प्रान्त है। सिन्ध नदी से बाढ़ वाली नहरें श्रास पास की भूमि को सींचती थीं। बहुत सिंध की नहरें:- से वर्षों से सिन्ध नदी के पानी को सिन्ध प्रान्त को सींचने के काम में लाने की बात सोची जा रही थी। परन्तु सिन्ध नदी को रोकने के लिए बाँध बनाने के लिए कहीं चट्टान वाली जमीन नहीं मिलती थी । अन्त में इंजिनियरों ने रेतीली भूमि पर ही सक्खर के पास एक विशाल बाँध बना कर नदी को रोक दिया। इस विशाल बांध के बन जाने से सिंध नदी एक विशाल झील के रूप में परिणत. हो गई है। इस बाँध में ६६ दरवाजे हैं जिनमें स्टील के मजबूत फाटक लगाये गये हैं। इन फाटकों से नदी का पानी रोका जाता है और जब पानी जरूरत से ज्यादा होता है तब पानी नदी में जाने दिया जाता है साखर के बाँध से ७ नहरें निकाली गई हैं। तीन दाहिने किनारे से और चार बायें किनारे से । इन सातों नहरों तथा उनकी शाखों की लम्बाई '७००० मील है। इन नहरों में " रोहरी" नहर सबसे बड़ी है, इसकी लम्बाई २०० मील है और इसकी शाखाओं की लम्बाई २३०० बायें किनारे से रोहरी नहर तथा अन्य दो नहरें खैरपूर राज्य को सींचती हैं।" नीरा" नहर जो रोहरी नहर से पानी लेती है सुदूर जिलों को सींचती है। दाहिने